चीन की सोने की खरीद ने डॉलर को हिला दिया — क्या बदलने वाला है वैश्विक तंत्र?
अमेरिका की आर्थिक ग्रोथ पर सुस्ती का साया गहराता जा रहा है। ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) की ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनी दी गई...

💰 डॉलर के वर्चस्व पर खतरा
भारत, रूस और चीन जैसे देश अब डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। यह आर्थिक बदलाव न सिर्फ व्यापारिक बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन के लिए भी एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
🏦 चीन की गोल्ड रणनीति से बढ़ी अमेरिका की चिंता
रिपोर्ट के अनुसार, चीन लगातार 11 महीने से सोना खरीद रहा है। गोल्ड रिज़र्व बढ़ाने की यह नीति डॉलर-आधारित ग्लोबल सिस्टम को कमजोर कर सकती है। इस साल सोने की कीमतों में 50% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, जिससे चीन की आर्थिक स्थिति और मजबूत हुई है।
चीन की इस रणनीति को कई विशेषज्ञ “गोल्ड रैली” कह रहे हैं, जो अब एक ग्लोबल इकॉनॉमिक टर्निंग पॉइंट बनती जा रही है।
🇺🇸 अमेरिका में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ी
अमेरिका में सरकारी शटडाउन और फेडरल रिजर्व की नीतियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। फेड अपनी ब्याज दरों को लेकर असमंजस में है, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है। अब निवेशक सोने को सुरक्षित निवेश (Safe Investment) के रूप में फिर से अपनाने लगे हैं।
💡 डॉलर से दूर हो रहे हैं निवेशक
फेडरल रिजर्व की नीतियों की अनिश्चितता और लगातार बढ़ते कर्ज के कारण कई सेंट्रल बैंक और निवेशक अब डॉलर की जगह सोना और अन्य मुद्राओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह बदलाव आने वाले वर्षों में ग्लोबल करेंसी सिस्टम को पूरी तरह बदल सकता है।
🌐 ब्रिक्स देशों की आर्थिक आज़ादी की मुहिम
भारत, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे ब्रिक्स देश अब डॉलर के साए से बाहर निकलकर अपनी आर्थिक स्वतंत्रता (Economic Independence) की दिशा में बढ़ रहे हैं। भारत इस बदलाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ये देश अपने व्यापार, निवेश और वित्तीय व्यवस्था को नई विश्व व्यवस्था (New World Order) के अनुरूप ढालने में जुटे हैं।
⚖️ वैश्विक शक्ति संतुलन में नया अध्याय
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की गोल्ड पॉलिसी और ब्रिक्स की डॉलर-विरोधी रणनीति अब अमेरिकी आर्थिक वर्चस्व को सीधी चुनौती दे रही है। इस बदलाव का असर सिर्फ अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं रहेगा — बल्कि इसका भू-राजनीतिक (Geopolitical) प्रभाव भी दूरगामी होगा।
📰 निष्कर्ष
ओईसीडी की चेतावनी के बाद यह साफ है कि आने वाले वर्षों में विश्व अर्थव्यवस्था का संतुलन बदल सकता है। जहां एक ओर अमेरिका अनिश्चितता से जूझ रहा है, वहीं ब्रिक्स देश नई वैश्विक आर्थिक दिशा तय करने की तैयारी में हैं। चीन का गोल्ड स्टॉक, भारत की बढ़ती भूमिका और रूस की रणनीति मिलकर एक नई आर्थिक विश्व व्यवस्था की शुरुआत कर सकते हैं।
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